उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में 1,869 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रानीखेत एक ऐसा हिल स्टेशन है, जो प्रकृति प्रेमियों और शांति की तलाश करने वालों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। “रानी का मैदान” यानी रानीखेत अपने नाम के अनुरूप ही खूबसूरत और शांत वादियों से सजा हुआ है। यहाँ की हरियाली, हिमालय की बर्फीली चोटियों का नजारा और ठंडी हवाएँ हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। आइए, जानते हैं कि रानीखेत क्यों है उत्तराखंड का एक अनमोल रत्न।

रानीखेत का इतिहास और नाम की कहानी
रानीखेत का नाम एक रोचक लोक कथा से जुड़ा है। कहा जाता है कि कत्यूरी राजवंश के राजा सुधरदेव ने अपनी रानी पद्मिनी के लिए इस जगह को चुना था। रानी पद्मिनी यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने इसे अपना निवास स्थान बना लिया। तभी से इस जगह को “रानीखेत” कहा जाने लगा, जिसका अर्थ है “रानी का मैदान”। हालाँकि, आज यहाँ उस महल का कोई निशान नहीं मिलता, लेकिन यह कहानी रानीखेत की सुंदरता को और भी खास बनाती है।
ब्रिटिश काल में यहाँ कुमाऊँ रेजिमेंट का मुख्यालय स्थापित किया गया, जो आज भी भारतीय सेना द्वारा संचालित है। उस समय इसे गर्मियों से राहत पाने के लिए एक रिट्रीट के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। यहाँ की शांत जलवायु और प्राकृतिक सौंदर्य ने इसे तब से लेकर आज तक पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाए रखा है।
रानीखेत की खूबसूरती और पर्यटन स्थल
रानीखेत अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ कई दर्शनीय स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ कुछ प्रमुख जगहें हैं जो हर पर्यटक को जरूर देखनी चाहिए:
चौबटिया गार्डन: रानीखेत से 10 किलोमीटर दूर स्थित यह बगीचा सेब, आड़ू, नाशपाती और खुबानी के बागानों के लिए मशहूर है। यहाँ से हिमालय की नंदा देवी चोटी का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। यहाँ का शांत वातावरण और फलों की महक हर किसी को तरोताजा कर देती है।
झूला देवी मंदिर: 8वीं शताब्दी का यह प्राचीन मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। मंदिर के चारों ओर घने जंगल और यहाँ बंधी घंटियों की झंकार इसे खास बनाती है। मान्यता है कि यहाँ माँगी गई मन्नतें पूरी होती हैं।
हैदाखान मंदिर: रानीखेत से 4 किलोमीटर दूर चिलियानौला में स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता है कि इसे हैदाखान बाबाजी ने बनवाया था, जो शिव के अवतार माने जाते हैं। यहाँ से हिमालय का नजारा बेहद खूबसूरत दिखता है।
उपट गोल्फ कोर्स: यह 9-होल वाला गोल्फ कोर्स एशिया के सबसे ऊँचे गोल्फ कोर्स में से एक है। यहाँ की हरियाली और शांत वातावरण इसे पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनाते हैं। यहाँ गोल्फ खेलने का मजा ले सकते हैं या बस प्रकृति का आनंद उठा सकते हैं।
भालू डैम: यह एक छोटा सा कृत्रिम झील है, जो चारों ओर से जंगलों से घिरा हुआ है। यहाँ की शांति और हिमालय की परछाई इसे फोटोग्राफी और पिकनिक के लिए बेहतरीन जगह बनाती है।
रानीखेत जाने का सही समय
रानीखेत की खूबसूरती साल भर देखी जा सकती है, लेकिन मार्च से जून और सितंबर से नवंबर का समय यहाँ घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। गर्मियों में यहाँ का मौसम सुहावना रहता है, वहीं सर्दियों में (दिसंबर-फरवरी) हल्की बर्फबारी का लुत्फ उठाया जा सकता है। मानसून में बारिश के कारण थोड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है, लेकिन हरियाली इस समय अपने चरम पर होती है।
कैसे पहुँचें रानीखेत?
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जो रानीखेत से लगभग 119 किलोमीटर दूर है। यहाँ से टैक्सी या बस आसानी से मिल जाती है।
रेल मार्ग: काठगोदाम रेलवे स्टेशन रानीखेत का सबसे नजदीकी स्टेशन है, जो 88 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से नियमित बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग: रानीखेत दिल्ली से 360 किलोमीटर और नैनीताल से 60 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ तक बस या निजी वाहन से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
रानीखेत में करने लायक चीजें
रानीखेत सिर्फ घूमने की जगह नहीं, बल्कि रोमांच और शांति का संगम है। यहाँ आप ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग, गोल्फिंग और प्रकृति के बीच कैंपिंग का आनंद ले सकते हैं। चौबटिया से भालू डैम तक की ट्रेकिंग बेहद लोकप्रिय है। साथ ही, यहाँ के स्थानीय व्यंजन जैसे भट्ट की चुरकानी और आलू के गुटके जरूर ट्राई करें।
रानीखेत एक ऐसी जगह है, जहाँ प्रकृति और इतिहास का अनूठा मेल देखने को मिलता है। यहाँ की शांत वादियाँ, ठंडी हवाएँ और हिमालय का नजारा हर किसी को अपनी ओर खींचते हैं। अगर आप उत्तराखंड की सैर की योजना बना रहे हैं, तो रानीखेत को अपनी सूची में जरूर शामिल करें। यहाँ का हर पल आपको देवभूमि की सच्ची खूबसूरती से रूबरू कराएगा।