भवाली (Bhowali) उत्तराखंड के नैनीताल जिले में बसा एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। ये जगह समुद्र तल से 1706 मीटर की ऊँचाई पर है और नैनीताल से सिर्फ 11 किलोमीटर दूर है। भवाली अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और ठंडी हवा के लिए मशहूर है। ये कुमाऊँ क्षेत्र का एक अहम जंक्शन भी है, जहाँ से नैनीताल, भीमताल, मुक्तेश्वर, रानीखेत और अल्मोड़ा जैसी जगहों के लिए रास्ते निकलते हैं।

भवाली का इतिहास
भवाली को खास तौर पर इसके टी.बी. सैनेटोरियम (Sanatorium) की वजह से जाना जाता है, जो 1912 में बनाया गया था। उस वक्त ये टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) के मरीजों के इलाज के लिए मशहूर था, क्योंकि यहाँ की साफ हवा और ठंडा मौसम बीमारी में राहत देता था। आज भी वो इमारत यहाँ की शान है, हालाँकि अब उसका इस्तेमाल कम होता है। इसके अलावा, भवाली एक बड़ी फल मंडी के रूप में भी फेमस है। यहाँ सेब, नाशपाती, आलूबुखारा और खुबानी जैसे पहाड़ी फल बिकते हैं, जो आसपास के इलाकों में सप्लाई होते हैं।
भवाली में ज्यादा टूरिस्ट स्पॉट नहीं हैं, लेकिन ये जगह रिलैक्स करने के लिए बेस्ट है। नैनीताल की भीड़ से बचना हो तो यहाँ ठहर सकते हो। आसपास की जगहों जैसे भीमताल, सातताल या मुक्तेश्वर की सैर कर सकते हो। यहाँ की चाय की दुकानों पर बैठकर पहाड़ी नजारे का मजा लेना भी अपने आप में अलग अनुभव है।
क्या है खास?
प्राकृतिक सुंदरता: चारों तरफ हरियाली, पहाड़ और शांत माहौल भवाली को खास बनाते हैं। यहाँ से हिमालय की चोटियाँ भी दिखती हैं।
घोराखाल: भवाली से 3 किलोमीटर दूर घोराखाल है, जहाँ गोलू देवता का मंदिर और सैनिक स्कूल है। गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है।
फल बाजार: मई से अगस्त तक यहाँ फलों का सीजन रहता है। ताजे और सस्ते फल खरीदने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
कनेक्टिविटी: भवाली नेशनल हाइवे 109 पर है, जो इसे रुद्रपुर से लेकर करनप्रयाग तक जोड़ता है। यहाँ से बसें और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं।
भवाली कैसे पहुँचें?
रेलवे: नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो 35 किलोमीटर दूर है। वहाँ से टैक्सी या बस ले सकते हो।
हवाई जहाज: पंतनगर एयरपोर्ट 70 किलोमीटर दूर है, जो सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है।
सड़क: हल्द्वानी से भवाली दो रास्तों से जा सकते हो – एक भीमताल होकर, दूसरा ज्योलिकोट होकर।
यहाँ गर्मियों में तापमान 15-25 डिग्री रहता है, जो गर्मी से राहत देता है। सर्दियों में 0-10 डिग्री तक चला जाता है, और कभी-कभी बर्फ भी पड़ती है। मानसून में बारिश खूब होती है, जिससे रास्ते थोड़े मुश्किल हो सकते हैं।