द्वाराहाट (Dwarahat), उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में बसा एक छोटा सा कस्बा है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता है। समुद्र तल से 1510 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ये जगह हिमालय की गोद में शांति और आध्यात्म का अनुभव कराती है। इसे “कुमाऊँ का खजुराहो” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ 11वीं सदी के प्राचीन मंदिरों का खजाना है, जो कत्यूरी राजवंश की शानदार वास्तुकला को दर्शाते हैं। अगर आप उत्तराखंड में ऑफबीट डेस्टिनेशन की तलाश में हैं, तो mydevbhoomi.in आपको द्वाराहाट की सैर पर ले चलता है।

द्वाराहाट का इतिहास | History of Dwarahat
द्वाराहाट का नाम संस्कृत शब्द “द्वार” (दरवाजा) और “हाट” (बाजार) से आया है, जिसका मतलब है “स्वर्ग का दरवाजा”। ये जगह कभी कत्यूरी राजाओं की राजधानी थी, जिन्होंने यहाँ 55 से ज्यादा मंदिर बनवाए। इन मंदिरों में मणियान, कचहरी और रत्नदेव समूह प्रमुख हैं। यहाँ की नक्काशी और शिल्पकला इतनी बारीक है कि ये आज भी इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करती है। द्वाराहाट का धार्मिक महत्व भी कम नहीं, क्योंकि ये बद्रीनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक अहम पड़ाव रहा है।
द्वाराहाट में घूमने की जगहें | Places to Visit in Dwarahat
- प्राचीन मंदिर समूह
द्वाराहाट के मंदिर इसकी पहचान हैं। यहाँ के 100 से ज्यादा मंदिरों में भगवान शिव, विष्णु और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ देखने लायक हैं। इनकी वास्तुकला नॉर्थ इंडियन स्टाइल को दर्शाती है। - माँ दूनागिरी मंदिर
द्वाराहाट से 14 किलोमीटर दूर, 2400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित माँ दूनागिरी मंदिर शक्ति उपासकों के लिए खास है। यहाँ से हिमालय के नजारे भी लाजवाब हैं। - विमलेश्वर मंदिर
घाटी में बसा ये मंदिर शांति और सुकून का प्रतीक है। कुमाऊँ के लोग इसे बेहद पवित्र मानते हैं। - स्याल्दे-बिखोती मेला
हर साल अप्रैल में लगने वाला ये मेला स्थानीय संस्कृति को करीब से देखने का मौका देता है। यहाँ लोक नृत्य, संगीत और पहाड़ी व्यंजनों का मजा ले सकते हैं।
द्वाराहाट कैसे पहुँचें? | How to Reach Dwarahat
- सड़क मार्ग: द्वाराहाट रानीखेत से 21 किमी और अल्मोड़ा से 35 किमी दूर है। दिल्ली से यहाँ की दूरी 248 किमी है। बस या टैक्सी आसानी से मिल जाती है।
- रेलवे: नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम (90 किमी) है।
- हवाई मार्ग: पंतनगर एयरपोर्ट (120 किमी) सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है।
द्वाराहाट घूमने का सही समय | Best Time to Visit Dwarahat
द्वाराहाट साल भर घूमने लायक है, लेकिन मार्च से जून और सितंबर से नवंबर का मौसम सबसे अच्छा रहता है। सर्दियों में बर्फबारी का मजा लेना हो तो दिसंबर-जनवरी में भी जा सकते हैं।
द्वाराहाट में रुकने की व्यवस्था | Where to Stay in Dwarahat
यहाँ 4-5 स्टार होटल्स नहीं हैं, लेकिन साफ-सुथरे गेस्ट हाउस और बजट होटल्स उपलब्ध हैं। बेहतर सुविधा के लिए आप रानीखेत या कौसानी में ठहर सकते हैं, जो पास ही हैं।
क्यों जाएँ द्वाराहाट? | Why Visit Dwarahat?
अगर आप भीड़भाड़ से दूर, प्रकृति और इतिहास के बीच समय बिताना चाहते हैं, तो द्वाराहाट आपके लिए बेस्ट है। यहाँ की शांत वादियाँ, हिमालय के नजारे और प्राचीन मंदिर इसे खास बनाते हैं। mydevbhoomi.in पर हम आपको उत्तराखंड के ऐसे ही अनछुए स्थानों की जानकारी देते हैं।
द्वाराहाट सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि एक अनुभव है। यहाँ की हरियाली, मंदिरों की घंटियाँ और पहाड़ी हवा आपको तरोताजा कर देगी। तो अगली बार उत्तराखंड की प्लानिंग करें, तो द्वाराहाट को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें। ज्यादा जानकारी के लिए mydevbhoomi.in पर विजिट करें और अपनी ट्रिप को यादगार बनाएँ।