मेडिकल शहर से केवल 40 किलोमीटर की दूरी पर बसा कोटा बाग अपने नाम से ही पहचाना जाता है। यह नैनीताल के पास कुमाऊँ मंडल का एक छोटा सा कस्बा है, जिसका जिक्र पूरे क्षेत्र में होता है। कहा जाता है कि कुमाऊँ के हर घर की कोई न कोई रिश्तेदारी यहाँ से जुड़ी हुई है। भले ही यह एक छोटा कस्बा हो, लेकिन इसका इतिहास और महत्व इसे विशाल बनाते हैं। पहले यह जगह कोटद्वार और देहरादून से भी ज्यादा प्रभावशाली मानी जाती थी। आइए, इस खूबसूरत जगह की कहानी और खासियत को जानते हैं।

कोटा बाग का पुराना इतिहास
कहते हैं कि सोलह सौ के समय में यहाँ सिर्फ 20 परिवारों का एक गाँव हुआ करता था, जब देहरादून और हरिद्वार शांत पड़े थे। उस समय इसका नाम “कोटा डन” था। “कोटा” का मतलब शिवालिक पहाड़ियों से लिया जाता है, और “डन” यानी दो क्षेत्रों के बीच की जमीन। बाद में कत्यूरी राजाओं ने इसे कोटा बाग नाम दिया, क्योंकि यहाँ की प्राकृतिक संपदा और हरियाली देखते ही बनती थी। उन्होंने “डन” हटाकर “बाग” जोड़ा, जो इस जगह की सुंदरता को बयाँ करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि लाखों साल पहले यहाँ हिमालय के ऊँचे पहाड़ थे, जो भूकंप, मौसम के बदलाव, और प्राकृतिक आपदाओं के कारण समतल जमीन में बदल गए। आज इसी भूमि पर यह कस्बा बसा है।
दाबका की तलहटी में बसा कस्बा
कोटा बाग दाबका नदी की तलहटी में स्थित है, जहाँ पहाड़ियों की गोद इसे चारों तरफ से घेरे हुए है। यहाँ की कुलदेवी को “की देवी” कहा जाता है, और पास की पहाड़ी को “की पहाड़ी” के नाम से जाना जाता है। इस पहाड़ी पर एक मंदिर भी है, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। चारों ओर फैली हरियाली और शांत वातावरण इस जगह को खास बनाते हैं। यहाँ का मौसम ठंडा और सुहावना रहता है, जो हर किसी को अपनी ओर खींचता है।
सीतावनी मंदिर की पौराणिक महिमा
कोटा बाग में एक खास तीर्थ स्थल है—सीतावनी मंदिर। मान्यता है कि त्रेतायुग में जब श्रीराम ने माता सीता को छोड़ा था, तो उन्होंने यहीं शरण ली थी। इसी जगह पर माता सीता ने लव और कुश को जन्म दिया। यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं के लिए पवित्र है। लोग यहाँ दर्शन करने और नदी में स्नान करने आते हैं। इस मंदिर की शांति और पौराणिक महत्व इसे कोटा बाग का एक अनमोल हिस्सा बनाते हैं।
ब्रिटिश काल की झलक
कोटा बाग में ब्रिटिश काल की कई निशानियाँ आज भी मौजूद हैं। यहाँ का पुराना डाक बंगला, कुछ ब्रिटिशकालीन मकान, और एक पुल उस दौर की याद दिलाते हैं। ये धरोहरें इस कस्बे के इतिहास को और गहरा बनाती हैं। यहाँ के आसपास के क्षेत्रों में पूर्व में कालाढूंगी, पश्चिम में रामनगर, उत्तर में बेतालघाट, और दक्षिण में बाजपुर आते हैं। लगभग 45,000 की आबादी वाला यह कस्बा मुख्य रूप से कृषि और छोटे उद्योगों पर निर्भर है।
कोटा बाग की प्राकृतिक संपदा
यह कस्बा अपने हरे-भरे जंगलों और कृषि के लिए मशहूर है। यहाँ की समतल भूमि और पहाड़ियों का संगम इसे अनोखा बनाता है। अगर आप घूमने की सोच रहे हैं, तो यहाँ से जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, सिद्धबली मंदिर, और नैनीताल आसानी से पहुँचा जा सकता है। कोटा बाग की प्राकृतिक सुंदरता और शांत माहौल इसे एक छिपा हुआ खजाना बनाते हैं।
कोटा बाग क्यों जाएँ?
कोटा बाग का अपना एक खास महत्व है। यहाँ का इतिहास, पौराणिक स्थल, और प्राकृतिक नजारे इसे हर यात्री के लिए आकर्षक बनाते हैं। चाहे आप सीतावनी मंदिर की शांति में समय बिताना चाहें या ब्रिटिश काल की धरोहरों को देखना चाहें, यह जगह आपको निराश नहीं करेगी। यहाँ की हरियाली और ठंडी हवा हर सैलानी को सुकून देती है।
कोटा बाग कैसे पहुँचें?
- सड़क मार्ग: नैनीताल से कोटा बाग 40 किलोमीटर दूर है और सड़क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: काठगोदाम (लगभग 50 किमी)।
- सही समय: अक्टूबर से मार्च का मौसम यहाँ घूमने के लिए सबसे अच्छा है।
Mydevbhoomi.in पर हम आपको ऐसी ही अनोखी जगहों की जानकारी देते हैं। कोटा बाग एक छोटा सा कस्बा है, लेकिन इसका इतिहास, प्राकृतिक सुंदरता, और आध्यात्मिक महत्व इसे खास बनाते हैं। अगर आप कुमाऊँ या नैनीताल की सैर पर जा रहे हैं, तो कोटा बाग को अपनी सूची में जरूर शामिल करें। हमें कमेंट में बताएँ कि आपको यह जगह कैसी लगी और आपकी अगली यात्रा कहाँ की होगी।