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कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी की कहानी || Haldwani

कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी की कहानी

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की शान हल्द्वानी, किसी जमाने में एक साधारण सा गांव हुआ करता था, जिसे व्यापारिक मंडी के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया 19वीं शताब्दी में शुरू की गई थी। ऐसा कहा जाता है कि चंद्रवंशी शासन के दौरान हल्द्वानी को एक गांव का दर्जा ही प्राप्त था, जहां पर्वतीय क्षेत्रों से पशुपालक सिर्फ कुछ समय के लिए आते थे। 1883 तक इस क्षेत्र की आबादी मुख्य रूप से मौसमी रूप से यहां निवास करती थी, अर्थात लोग सिर्फ कुछ समय के लिए ही यहां आते और चले जाते थे।

hadlwani

क्यों कहा जाता है इसे हल्द्वानी ( Haldwani ka naam Haldwani kyo pada) ?

हल्द्वानी का नाम हल्द्वानी पढ़ने के पीछे एक बेहद ही रोचक कहानी है। हल्द्वानी के नाम की उत्पत्ति हल्दु नामक पेड़ के कारण हुई है। पहले हल्द्वानी में हल्दु नाम के पेड़ प्रचुर मात्रा में पाए जाते थे, और इसी आधार पर इसे हल्द्वानी कहा गया।

कभी गांव हुआ करता था हल्द्वानी।

जो हल्द्वानी आज हमें इतना भीड़भाड़ वाला दिखता है, किसी जमाने में वहां महज कुछ दुकानें ही हुआ करती थीं और यह आम गांव की तरह हुआ करता था।

व्यापारिक मंडी के रूप में हल्द्वानी का विकास ( haldwani Sheher Kase Bana ) ।

1834 में मिस्टर ट्रेलर ने हल्द्वानी को कुछ महीनों के लिए मंडी के रूप में विकसित करने की योजना बनाई थी, जिससे यहां व्यापार की संभावनाएं बढ़ने लगीं। देखते ही देखते 1850 के दशक तक हल्द्वानी एक व्यापारिक मंडी के रूप में उभरने लगा। आसपास के घने जंगलों को काटे जाने के बाद जलवायु में भी सुधार हुआ, जिससे यहां स्थाई निवासियों की संख्या बढ़ने लगी। अर्थात अब यहां लोग स्थाई रूप से रहने लगे थे।

हल्द्वानी का शहरीकरण: Haldwani ke Sheher Banane Ki Kahani

जो हल्द्वानी आज हमें एक विकसित शहर के रूप में दिखता है, इसे यहां तक पहुंचने में एक बहुत लंबे सफर का सामना करना पड़ा। हल्द्वानी का विकास 1880 के दशक में और भी तेज हुआ तथा 1883 में इसे टाउन एरिया कमेटी का दर्जा मिला। 1857 में हल्द्वानी में नगर पालिका की स्थापना की गई, और 1899 में यहां तहसील कार्यालय खोला गया था। 1937 में हल्द्वानी में नागरिक चिकित्सा की स्थापना की गई, जिससे यहां की जनता को स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार मिला।

आज का हल्द्वानी कुमाऊं का मुख्य द्वार कहा जाता है, तथा यह एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। किसी जमाने में एक गांव कहा जाने वाला हल्द्वानी अब एक शहर बन चुका है। आज हल्द्वानी में नए-नए शैक्षणिक संस्थान खुल रहे हैं, जो इसे शैक्षणिक हब बनने की ओर अग्रसर कर रहे हैं।

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