उत्तराखंड की पारंपरिक लोक कला: ऐपण || Traditional Folk Art of Uttarakhand: Aipan
देवभूमि उत्तराखंड अपने प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक स्थल एवं रीति-रीति रिवाजों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की जड़ी-बूटियां हों अथवा यहां की वेशभूषा, सभी देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। यहां की ऐसी ही एक कला है ऐपण। इसके विषय में आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं।
ऐपण एक प्रकार की पारंपरिक पेंटिंग है, जिसे यहां के लोग अपने घर की दलहीच में, फर्श पर अथवा मंदिर में करते हैं। यह मुख्य रूप से उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में देखने को मिलती है। इस कला को मिट्टी के फर्श पर अथवा दीवारों पर, विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र और धार्मिक प्रतीकों को बनाकर व्यक्त किया जाता है। ऐपण को सफेद रंग और लाल रंग से तैयार किया जाता है। पुराने समय में सफेद रंग को चावल के आटे से तैयार किया जाता था, और लाल रंग को गेरू (जिसे लाल मिट्टी कहा जाता है) से तैयार किया जाता था।
ऐपण का अपना सांस्कृतिक इतिहास रहा है। उत्तराखंड के लोग इस परंपरा को लंबे समय से जीवंत रखे हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐपण बनाने से यह न केवल सौंदर्य प्रदान करता है, बल्कि इससे देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। और इसीलिए उत्तराखंड में हर पूजा, त्यौहार, विवाह तथा अन्य अवसरों पर ऐपण बनाया जाता है।
ऐपण बनाने के लिए, चावल को पीसकर सफेद रंग बनाया जाता है और एक विशेष प्रकार की लाल मिट्टी (जिसे स्थानीय लोग गेरू कहते हैं) का प्रयोग किया जाता है। फिर गेरू के द्वारा इसका बैकग्राउंड बनाया जाता है तथा उस पर सफेद रंग से विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां बनाई जाती हैं। आज के इस समय में, लोगों के पास समय न होने के कारण, कई लोग बाजार से बने हुए ऐपण लेकर आते हैं। और कई लोग चावल के आटे से बने सफेद रंग और गेरू के स्थान पर, सफेद पेंट और लाल रंग का प्रयोग करने लगे हैं।