Welcome to Uttarakhand Tourist History Blog - Explore the Land of Gods!

कैसे और क्यों पड़ा राजापुर का नाम अल्मोड़ा ? || Rajapur ka naam Almora kaise aur kyun pada?

कैसे और क्यों पड़ा राजापुर का नाम अल्मोड़ा ? || Rajapur ka naam Almora kaise aur kyun pada?


almora



 अल्मोड़ा का नामकरण एक दिलचस्प कहानी के साथ जुड़ा हुआ है। अल्मोड़ा से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कटारमल सूर्य मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर के बर्तन साफ करने के लिए एक विशेष खट्टी घास का उपयोग किया जाता था, जिसे किलमोड़ा, चिलमोड़ा या भीलवाड़ा कहा जाता था। अल्मोड़ा की घाड़ जाति के लोग इस खट्टी घास को कटारमल सूर्य मंदिर में ले जाते थे और उन्हें अलमुनिया कहा जाता था। ऐसा माना जाता है कि इन्हीं लोगों के नाम पर इस शहर का नाम अल्मोड़ा पड़ा।

इस शहर को पुराने समय में आलमनगर और राजापुर के नामों से भी जाना जाता था। चंद राजाओं के शासनकाल में इस शहर के राजापुर नाम का उल्लेख तांबे के सिक्कों में भी मिलता है। अल्मोड़ा का पहला जिक्र कुरी राजाओं के शासनकाल में मिलता है, जब राजा बेचन दे नामक एक राजा ने अल्मोड़ा में काफी जमीन एक गुजराती ब्राह्मण श्री चंद्र तिवारी को दान में दी थी।

चंद शासकों ने जब अपनी राजधानी चंपावत से अल्मोड़ा स्थानांतरित की, तब उन्होंने यहां माला महल का निर्माण करवाया, जो आज भी अल्मोड़ा नगर में आकर्षण का केन्द्र है। इस महल का निर्माण चंद्रवंश के राजा रूद्राक्ष ने करवाया था। यह महल चंद राजाओं के शासन का प्रमुख केंद्र था। इस महल से जुड़े कई रोचक तथ्य भी हैं, जैसे कि रानी महल से तल्ला महल तक जाने वाली एक गुप्त सुरंग।

अल्मोड़ा का नंदा देवी मंदिर भी ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। नंदा देवी की मूर्ति को चंद्रवंश के राजा राज बहादुर चंद ने गढ़वाल से अल्मोड़ा लाकर माला महल में स्थापित किया था। बाद में अंग्रेजों ने मूर्ति को दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया, जहाँ आज नंदा देवी मंदिर स्थित है। राजा कल्याण चंद, जिन्होंने 1560 से 1568 तक शासन किया, को अल्मोड़ा की स्थापना का श्रेय जाता है। उनके समय में अल्मोड़ा के बाजार स्थापित हुए, जो आज भी शहर की पहचान बने हुए हैं।

अल्मोड़ा के बाजार, जैसे कि लाल बाजार, पलटन बाजार, थाना बाजार, आदि आज भी अपनी पुरानी शान को बनाए हुए हैं। इन बाजारों की खासियत यह है कि वे रंग-बिरंगे और पुरानी शैली में बने घरों के बीच स्थित हैं। पलटन बाजार का नाम पहले लाल मंडी था, जहाँ सैनिक रहते थे, इसीलिए इसका नाम पलटन बाजार पड़ा। खजांची मोहल्ला और जौहरी बाजार भी इस शहर के प्रमुख बाजारों में से हैं, जहाँ कीमती धातुएं और वस्त्र मिलते थे।

अल्मोड़ा का यह इतिहास और उसकी धरोहरें इस शहर को न केवल उत्तराखंड में बल्कि पूरे भारत में एक विशेष स्थान प्रदान करती हैं।


प्रश्न 1: अल्मोड़ा का नामकरण किस विशेष खट्टी घास से जुड़ा हुआ है, और इसका उपयोग कहाँ किया जाता था?  

उत्तर: अल्मोड़ा का नामकरण एक विशेष खट्टी घास ‘किलमोड़ा’ या ‘चिलमोड़ा’ से जुड़ा हुआ है, जिसका उपयोग कटारमल सूर्य मंदिर के बर्तन साफ करने के लिए किया जाता था।


प्रश्न 2: अल्मोड़ा का पहला जिक्र किसके शासनकाल में मिलता है?  

उत्तर: अल्मोड़ा का पहला जिक्र कुरी राजाओं के शासनकाल में मिलता है, जब राजा बेचन दे ने गुजराती ब्राह्मण श्री चंद्र तिवारी को अल्मोड़ा में काफी जमीन दान में दी थी।


प्रश्न 3: माला महल का निर्माण किसने करवाया और यह महल किस वंश से संबंधित था?  

उत्तर: माला महल का निर्माण चंद्रवंश के राजा रूद्राक्ष ने करवाया था, और यह चंद राजाओं के शासन का प्रमुख केंद्र था।


प्रश्न 4: नंदा देवी मंदिर का इतिहास क्या है और किस राजा ने इसे अल्मोड़ा में स्थापित किया?  

उत्तर: नंदा देवी की मूर्ति को चंद्रवंश के राजा राज बहादुर चंद ने गढ़वाल से लाकर माला महल में स्थापित किया था, और बाद में अंग्रेजों ने इसे दूसरी जगह स्थानांतरित किया, जहाँ आज नंदा देवी मंदिर स्थित है।


प्रश्न 5: अल्मोड़ा के कौन से प्रमुख बाजार आज भी अपनी पुरानी शान बनाए हुए हैं?  

उत्तर: अल्मोड़ा के प्रमुख बाजार जैसे कि लाल बाजार, पलटन बाजार, थाना बाजार, खजांची मोहल्ला, और जौहरी बाजार आज भी अपनी पुरानी शान बनाए हुए हैं।


Question 1: Almora ka naam kis khatti ghaas se juda hai, aur iska upayog kahan hota tha?  

Answer: Almora ka naam ek special khatti ghaas ‘Kilmoda’ ya ‘Chilmoda’ se juda hai, jo Katarmal Surya Mandir ke bartano ko saaf karne ke liye use hoti thi.


Question 2: Almora ka pehla zikr kis raja ke shashankaal mein milta hai?  

Answer: Almora ka pehla zikr Kuri rajao ke shashankaal mein milta hai, jab Raja Bechan De ne ek Gujarati Brahmin Shri Chandra Tiwari ko bahut si zameen daan mein di thi.


Question 3: Mala Mahal ka nirman kisne karvaya aur yeh mahal kis vansh se sambandhit tha?  

Answer: Mala Mahal ka nirman Chandravansh ke Raja Rudraksh ne karvaya tha, aur yeh Chand rajao ke shashan ka mukhya kendra tha.


Question 4: Nanda Devi Mandir ka itihas kya hai aur kis raja ne ise Almora mein sthapit kiya?  

Answer: Nanda Devi ki murti ko Chandravansh ke Raja Raj Bahadur Chand ne Garhwal se Almora laya tha, aur baad mein Angrezo ne ise doosri jagah sthapit kiya, jahan aaj Nanda Devi Mandir hai.


Question 5: Almora ke kaun se bazaar aaj bhi apni purani shaan ko banaye hue hain?  

Answer: Almora ke famous bazaar jaise Lal Bazaar, Paltan Bazaar, Thana Bazaar, Khajanchi Mohalla, aur Johari Bazaar aaj bhi apni purani shaan ko banaye hue hain.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top