केदारनाथ धाम: पांडवों की पौराणिक कथा
हिंदू धर्म में हिमालय की गोद में बसे केदारनाथ धाम को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है। इस पवित्र स्थल पर हिंदू पुराणों में विशेष महत्व दिया गया है, क्योंकि यहां भगवान शिव त्रिकोण शिवलिंग के रूप में विराजमान रहते हैं। इस स्थल से जुड़ी एक रोचक कथा महाभारत में वर्णित है, जिसमें पांडवों को भगवान शिव से साक्षात्कार हुआ था।
महाभारत युद्ध के बाद, जब पांडवों को हस्तिनापुर में राज्याभिषेक किया गया, उन्होंने श्रीकृष्ण से अपने द्वारा किए गए पापों के लिए प्रायश्चित के बारे में पूछा। श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि मुक्ति सिर्फ महादेव के शरण में ही मिल सकती है। इसके बाद पांडव ने राजपाट छोड़कर शिवजी की तलाश में निकला।
पांडवों ने कई स्थलों पर भगवान शिव की खोज की, लेकिन शिव उन्हें कहीं नहीं मिले। अंत में वे हिमालय तक पहुँचे, जहां भगवान शिव ने उनको छुपते हुए भी देख लिया। उसके बाद शिवलिंग में बदल गए और पांडवों के पाप क्षमा कर दिए। इस घटना के प्रमाण के रूप में वही शिवलिंग आज केदारनाथ धाम के नाम से प्रसिद्ध है।
भगवान शिव के सामने साक्षात देख पांडवों ने उन्हें प्रणाम किया और शिव ने उन्हें स्वर्ग का मार्ग बताया। इसके बाद पांडवों ने उस शिवलिंग की पूजा-अर्चना की और उसे केदार धाम के नाम से जाना जाता है।
इसी रूप में हिंदू धर्म में केदार स्थल को मुक्ति स्थल माना जाता है, और इसकी मान्यता है कि यदि कोई इस स्थल पर दर्शन के संकल्प से निकले और उसकी मृत्यु हो जाए, तो उसे पुन पुन जन्म नहीं लेना पड़ता।
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