नवरात्रि क्या है और क्यों मनाई जाती है || navratri kya hai aur kyo manayi jaati hai?

 नवरात्रि क्या है - एक परिचय


प्रिय पाठको आज के इस विषय में लेख में हम आपको नवरात्रि के विषय में बताने जा रहे हैं जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे देश भारत में हर वर्ष नवरात्रि का पर्व अति हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है, जिसमें हर वर्ष भक्तजन मां दुर्गा की पूजा उपासना करते हैं ।


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नवरात्रि क्या है और क्यों मनाई जाती है ( navratri kya hai aur kyo manayi jaati hai) ?

नवरात्रि एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जो आदिशक्ति, विशेषकर मां दुर्गा, की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है और भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

नवरात्रि का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है - "नव" और "रात्रि"। "नव" का अर्थ होता है "नौ" और "रात्रि" का अर्थ होता है "रात"। इस पर्व का आयोजन आदिशक्ति के नौ रूपों की पूजा के नौ दिनों तक किया जाता है, जिसे "नवरात्रि" कहा जाता है। 

नवरात्रि का पर्व वर्ष में चार बार आता है जिनमें से ज्यादातर लोग चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) और अश्विन माह में पड़ने वाली शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के बारे में ही जानते हैं. इसके अलावा दो अन्य नवरात्रि होती है, जिसे गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) कहा जाता है विभिन्न परंपराओं और राज्यों में भिन्न-भिन्न तरीकों से मनाया जाता है।


चैत्र नवरात्र क्या है और कब मनाए जाते हैं( Chaitra Navratri Kya Hai Aur Kab Manaye Jate Hain)?

चैत्र नवरात्रि, एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष (फाल्गुन और चैत्र महीने के मिलने वाले पक्ष) में मनाया जाता है। यह नवरात्रि का दूसरा महत्वपूर्ण अवसर होता है, पहला होता है आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि का उद्देश्य आदिशक्ति, विशेषकर मां दुर्गा, की पूजा और आराधना करना है, जिसे "रामनवमी" के रूप में भी मनाया जाता है.

चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन को "रामनवमी" कहा जाता है, जो भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम के जन्म के खास आयोजन और पूजा की जाती है।


अश्विन नवरात्रि क्या है और कब मनाई जाती है( Ashwin Navratri Kya Hai Aur Kab Manai Jati Hai)?

अश्विन नवरात्रि, एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जो मां दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। इस पर्व को अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।

अश्विन नवरात्रि के पर्व के प्रमुख आयोजन नौ दिनों तक होते हैं, जिनमें नौ दुर्गा के रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें "नवदुर्गा" कहा जाता है। ये रूप भगवान दुर्गा की विभिन्न आवतार होते हैं, और पूजा के माध्यम से लोग उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

अश्विन नवरात्रि का प्रमुख उद्देश्य मां दुर्गा की पूजा और आराधना करना है। इस अवसर पर, भगवान दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री शामिल हैं।



माँ दुर्गा के नौ रूप कौन-कौन से हैं ( Maa Durga Ke Nau Roop Kaun-Kaun Se Hain ) ?

मां दुर्गा के नौ रूप नवरात्रि के दौरान पूजे जाते हैं, और इन्हें "नवदुर्गा" के रूप में जाना जाता है। नवदुर्गा के प्रत्येक रूप की अपनी विशेष गुण और महत्वपूर्ण कथाएं होती हैं. निम्नलिखित हैं मां दुर्गा के नौ रूप:

शैलपुत्री: पहले दिन को शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। इस रूप में मां दुर्गा को हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों से जोड़ा जाता है। वह शैल-पुत्री, यानी पहाड़ों की पुत्री कहलाती हैं।

ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन को ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है। इस रूप में मां दुर्गा को जबलपुर, मध्य प्रदेश, के तपोवन में वास करते हुए दिखाया जाता है। इसका नाम "ब्रह्मचारिणी" है क्योंकि वह तपस्या और ब्रह्मचर्य का पालन करती हैं।

चंद्रघंटा: तीसरे दिन को चंद्रघंटा के रूप में पूजा जाता है। इस रूप में मां दुर्गा को वनांचल के इलाहाबाद से जोड़ा जाता है, और वह चंद्रघंटा कहलाती हैं, क्योंकि उनके माथे पर चंद्रमा की प्रतिकृति होती है।

कूष्मांडा: चौथे दिन को कूष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। इस रूप में मां दुर्गा को वनांचल के भद्रकाल से जोड़ा जाता है, और वह कूष्मांडा कहलाती हैं, क्योंकि उनके प्रत्येक हाथ में एक कूष्मांड जैसा प्रतीक होता है।

स्कंदमाता: पांचवे दिन को स्कंदमाता के रूप में पूजा जाता है। इस रूप में मां दुर्गा को वनांचल के सिन्धुदुर्ग से जोड़ा जाता है, और वह भगवान स्कंद (कार्तिक) की मां कहलाती हैं।

कात्यायनी: छठे दिन को कात्यायनी के रूप में पूजा जाता है। इस रूप में मां दुर्गा को वनांचल के कात्यायन से जोड़ा जाता है, और वह माता कात्यायनी कहलाती हैं।

कालरात्रि: सातवें दिन को कालरात्रि के रूप में पूजा जाता है। इस रूप में मां दुर्गा को वनांचल के कालरात्रि से जोड़ा जाता है, और वह काली मां कहलाती हैं।

महागौरी: आठवें दिन को महागौरी के रूप में पूजा जाता है। इस रूप में मां दुर्गा को वनांचल के तेराह से जोड़ा जाता है, और वह महागौरी मां कहलाती हैं।

सिद्धिदात्री: नौवें दिन को सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता है। इस रूप में मां दुर्गा को वनांचल के मनिपुर से जोड़ा जाता है, और वह सिद्धिदात्री  मां कहलाती हैं।



नवरात्रि मंत्र (Navratri Mantra) 

हिंदू धर्म में मां दुर्गा की पूजा और आराधना के दौरान उच्चारित किए जाने वाले मंत्र होते हैं। ये मंत्र भक्तों के द्वारा मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के उद्देश्य से उच्चारित किए जाते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ प्रमुख नवरात्रि मंत्र:


दुर्गा मां मंत्र:

"ॐ दुं दुर्गायै नमः" (Om Dum Durgayai Namah)

दुर्गा सप्तशती मंत्र:

"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" (Om Aim Hreem Kleem Chamundayai Vichche)

दुर्गा आरती मंत्र:

"जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी" (Jai Ambe Gauri, Maiya Jai Shyama Gauri)

सरस्वती मंत्र (विद्या दान के उद्देश्य से):

"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सरस्वत्यै नमः" (Om Aim Hreem Kleem Saraswatyai Namah)

लक्ष्मी मंत्र (धन और संपत्ति के लिए):

"ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" (Om Shreem Hreem Shreem Mahalakshmyai Namah)



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